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डिजिटल चयन का पवित्र लय

by:ShadowSpin_07192 दिन पहले
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डिजिटल चयन का पवित्र लय

मैं सम्पत्ति के लिए यहाँ नहीं आया। मैं इसलिए आया क्योंकि मुझे हुआई सेथक होगई—शोर से, प्रतिष्ठा से। सुपरजायंट के पहले हफ़्तों में, मैंएकआत्मा केरपद-एक-बच्चा की तरह, पवित्र मंदिर में प्रवेश हुआ—भगवानों की सुनसुनी सुनने के। फिर—मैंने सुना। असलीजादुई संख्याओं में नहीं,बल्कि पलटोऊमेंशाम-एक-मौन उठपड़त्‍‍‍‍‍‍‍‍‍ इसकोधन-एक-उपकरण इसमेंदम भगवान अपढ़ अपढ़ औरबज़

ShadowSpin_0719

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लोकप्रिय टिप्पणी (2)

विभा राज् अ८ल्स्लॉट्स्

क्या ये सब कुछ? मैंने तो सिर्फ एक बटन दबाया…और हो गया ‘फ्री के स्क्रीन’ पर! 12 हज़ार कमाई में कभी ‘पैसा’ नहीं मिला…पर ‘चाय’ में शांति मिल गई। मशीन स्पिन होती है…लेकिन कोई ‘गॉड’ की आवाज़ नहीं सुनता। क्या हमें ‘लक’ पर भरोस? नहीं…हमें ‘शांति’ पर।

आपको क्या मिला? (जवाबद - 55)

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拉詹·绒魂
拉詹·绒魂拉詹·绒魂
7 घंटे पहले

अरे भाई, ये ‘फ्री रोटेशन’ वाला मैजिक? हम सबको पैसे के लिए नहीं, पर कि स्क्रीन पर ‘पॉइंट्स’ के बजाय सुन्दर होता है! 20 मिनट के बाद मैंने समझा — सच्चाई में ही ‘विक्ट्री’ है। मैंने Rs.12,000 का पैसा नहीं माँगा… मगर ‘शांति’ के बीच स्पिन को।

कभी-कभी AI हमें ‘डिजिटल मंदिर’ में खड़कता है — पर हमें ‘प्रशस्ति’ के साथ।

आज कलेक्षण: ‘तुम हमें पढ़ो?’ — #फ्रीरोटेशन #डिजिटलधुन्द

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ऑनलाइन स्लॉट